Yuva
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वो भी क्या दिन थे जब होती थी
उनसे दिल खोल कर बाते
अब उनसे एक बार मिलने को
हम है तरस जाते
कहते है मुझको अपना दोस्त
पर दोस्ती रखना नहीं चाहते
कहना है उनको बहुत कुछ
पर कहे नहीं पाते
शायद वो कहना चाहती थी
तेरे बिन हम रहे नहीं सकते
लेकिन पहले है माँ-बाप
धोखा उन्हें दे नहीं सकते
शायद तोड़ दी दोस्ती भी
उसने इन्ही सब के नाते
और भुला दिया मुझको
और मेरी सारी बातें
अब न रही दोस्ती न प्यार
और न ही कोई बातें
अब है सिर्फ तन्हा रातें
और कुछ हसीन यादें…………
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