Yuva
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तुम्हारे प्यार को लिखकर सहजता हूँ मैं
उसको अखबारों में छपने भी भेजता हूँ मैं
ऐसा लगता कोई गुनाह कर रहा हूँ मैं
क्योंकि अपने कुंवारे सपनों को बेचता हूँ मैं
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दूर तुमसे हूँ मगर दूर नहीं हो सकता
प्यार की राह में मजबूर नहीं हो सकता
तुम्हारी आँख का आंसू तो मै बन सकता हूँ
तुम्हारी मांग का सिन्दूर नहीं हो सकता
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