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आखिर कब तक चुप रहेगी सरकार…

Yuva
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एक बार फिर कामयाब हो गए वो आतंकी जो पिछली बार अपने कम को अंजाम नहीं दे पाए थे पिछली बार उन्होंने एक साथ कुछ मिनटों के अन्तराल पर अलग- अलग जगह बम ब्लास्ट किये तो इस बार एक ही जगह कई ब्लास्ट करने की फ़िराक में थे एक ब्लास्ट होते ही उन्होंने अपने कार्य को अंजाम दिया और दो विदेशी और एक दो साल की बच्ची को मौत के घाट उतार दिया आकडे बता रह है की ३८-४० घायल है | पिछली बार भी कई लोग मारे गए और शायद ऐसे ही मरते रहंगे क्यूंकि क्या करे हिंदुस्तान में जनसँख्या इतनी जादा जो है और जहाँ पर चीजो की अधिकता होती है वहां पर वो बेकार में ही जाती है शायद इसीलिए हिंदुस्तान के लोगो की कीमत सरकार की नजरों में कम होती नजर आ रही है चाहे वो २६/११ हो या फिर ६ dec आतंकवादी अपने कार्य में पूर्ण नहीं लेकिन कुछ सफल तो हो ही जाते है लेकिन नेताओं के सिंघासन पर कोई फर्क नहीं पड़ता | ये बारदात की जगह पर पहुचते भी है तो अपनी बुलेट प्रूफ गाड़ियों में..
अब फिर कुछ लोगो को सरकार sympathi देगी और साथ में कुछ धन राशी | लेकिन उस माँ के दिल से पूछो जिसने अपनी सिर्फ और सिर्फ दो साल की बच्ची को खो दिया क्या कोई कीमत उसे वापस ला सकती है? नहीं कभी नहीं..
अगर सरकार के पास पुलिस या फिर फ़ोर्स है भी तो वो सिर्फ उनकी हिफाजत के लिए ही है इसका सबूत संसद पर हमले के न होने से साफ होता है मैं तो कहता हूँ हो जाना था हमला तब समझ में आता सरकार को उन हिन्दुस्तानियों का दर्द….
कुछ को मारा राजनीति ने , कुछ को मारा महगाई ने
कुछ को मारा आतंकी ने, कुछ को आरक्षण की लडाई ने
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वैसे एक बात तो है की भारत सरकार के पास कुछ दिनों का काम फिर आ गया …
१ फ़ोर्स को फिर से हाई अलर्ट के आदेश मिलेगे..
२ फिर से संसद में नए नए प्लान बनेंगे..
३ फिर से नए भारत को जन्म देने की बातें होंगी..
४ एक बार फिर जाँच बैठेगी
५ फिर से प्रेस बालों को बुलाया जायेगा
६ एक बार फिर नेता लोग अपनी-अपनी राय देंगे
७ फिर नेता अपना उल्लू सीधा करेंगे
८ फिर जनता वेवकूफ बनेगी
लेकिन एक बात है जनता एक बार फिर वोट उन्ही नेताओं में से किसी एक को देगी अब जरुरत है एक नए इन्सान की..
मैं नितिन सरकार से एक बात पूछना चाहता हूँ क्या फ़ोर्स को गोलियां सिर्फ हिंदुस्तान के लोगों को मारने के लिए दी जाती है आतंकवादियों के लिए नहीं.. शायद इसीलिए कसाब अभी तक जिन्दा है और कई किसान मारे जा चुके है अगर नहीं है सरकार के पास पैसे आतंकी को एक गोली मारने के तो मैं देता हूँ लेकिन उन्हें मारे वजाय इसके की उनपर प्रतिदिन लाखो खर्च करने के……….
वरना ऐसे धमाके होते रहंगे और आतंकी हिंदुस्तान की व़ी आइ प़ी जेल में और खूंखार होते रहंगे
वन्देमातरम…

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